Chath Pooja (छठ पूजा), The Famous Indian Festival

Chath Pooja (छठ पूजा), The Famous Indian Festival

Chat pooja

Importance of Chath Pooja / छठ पूजा का महत्व –

छठ पूजा / Chath Pooja मात्र एक व्रत नहीं बल्कि यह एक महापर्व grand festival के जैसे मनाई जाती है| पूरा संसार जहां उगते हुए सूरज की पूजा करता है परंतु छठ पूजा में डूबते सूरज की भी उपासना की जाती है, ऐसा त्यौहार या महापर्व होता है छठ पूजा| इस महापर्व में भगवान सूर्य की आराधना व छठ माता की पूजा की जाती है|

छठ पूजा मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली राज्यों में मनाते हैं| छठ पूजा घर में खुशहाली व संतानों की रक्षा उनके जीवन में आने वाली कठिनाइयों से बचाने के लिए किया जाता है| कुछ महिलाएं जो निसंतान है वे अपने संतान की उत्पत्ति के लिए इस व्रत को करती हैं| साल 2023 में छठ पूजा 19 नवंबर को मनाया जा रहा है| छठ पूजा एक परम सात्विक व्रत है जिसमें महिलाएं 36 घंटे तक बिना अन्न जल ग्रहण किए इस व्रत को पूर्ण करती हैं|

      छठ पूजा महिलाएं व पुरुष दोनों ही इस व्रत को कर सकते हैं परंतु जो महिलाएं छठ पूजा को करना आरंभ करती है वे उम्र भर तक इस व्रत को करती हैं आगे आने वाली पीढ़ी की महिलाओं को वे छठ पूजा सोंप कर ही इस व्रत का अपने जीवन में समापन करती हैं|

 

 

What All is Used in Chat Pooja / छठ पूजा में क्या क्या सामान लगता है?

भगवान सूर्य संसार के “जीवन दाता” भी कहे गए है क्योकि उनके प्रकाश के बिना पूरी दुनिया अँधेरे में डूब जाएगी सभी जीव जंतु का जीवन अंत हो जायेगा।

सूर्य उपासना पूजा में क्या क्या आवश्यक पूजन सामग्री होती है विस्तार से जाने –

छठ पूजा में सबसे पहले पूजा करने के लिए एक साफ कमरे की आवश्यकता होती है क्योंकि व्रत करने वाले जन को उसी कमरे में व्रत के चारों दिनों तक उसी में रहना पड़ता है| व्रत करने वाले जन को बिस्तर गद्दे इत्यादि पर सोना निषेध होता है उन्हें केवल कंबल या जमीन पर सोने की आज्ञा होती है| पूजा में व्रत करने वाले जन के लिए नए कपड़े की आवश्यकता होती है साथ में घर के सभी लोग भी नए वस्त्र, आभूषण, एवं अन्य चीज़े accessories धारण कर सकते हैं, बांस का सूप या पीतल से बना सूप, बांस से बनी दो बड़ी टोकरियाँ  या बांस की ना होने पर आप लाल या पीले रंग के कपड़े में प्रसाद को बांध सकते हैं| गाय का कच्चा दूध या गंगाजल (अरग देने के समय), दीपक, चावल, धूप, अगरबत्ती, घी, पान, साबुत सुपारी, गेहूं व चावल का आटा, गुड, गन्ने का रस, सिंदूर, कुमकुम आदि|

सूर्य उपासना पूजा में काम आने वाले आवश्यक फल जिनका आप माता छठ को भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं –

सूर्य उपासना पूजा में सभी ऋतु फलों का उपयोग किया जाता है जैसे कि अनानास, गन्ना, केला, नारियल, मीठा बड़े आकार का नींबू, मूली, सीताफल, पानी फल (सिंघाड़ा), संतरा, बादाम, सूखे मेवे, नाशपाती, अमरूद आदि|

 

How is Chath Pooja Celebrated / छठ पूजा कैसे मनाया जाता है?

पूजा में साफ सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखा जाता है सर्वप्रथम घर में कूड़ा कचरा गंदगी इत्यादि को बाहर निकाल कर घर को स्वच्छ करना चाहिए| छठ पूजा 4 दिन का महापर्व होता है जिसके पहले दिन की शुरुआत “नहाए खाए या  कद्दू भात” के दिन से होती है, दूसरे दिन को “खरना” कहते है,तीसरे दिन को “संध्या अरग” एवं अंतिम दिन को “निस्तार” होता है या कहते है|

 

  1. First Day of Chath Pooja पूजा का पहला दिन “नहाए खाए या कद्दू भात” – नहाए खाए के दिन व्रती महिलाएं गंगा या पवित्र कुंड में स्नान करके सात्विक भोजन बनाती है| सात्विक भोजन में लौकी से बनी दाल (चना) व चावल बनाकर ग्रहण करते हैं उसके बाद घर के सभी लोग इस भोजन को खाते हैं| बिहार के कुछ प्रांतों में लोग मिट्टी के नए बर्तन में इस भोजन को बनाते हैं|

 

नहाए खाए या कद्दू भात
नहाए खाए या कद्दू भात

 

  1. Second Day of Chath Pooja / पूजा का दूसरा दिन “खरना” – खरना के दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत करती हैं इस दिन महिलाएं गेहूं व चावल के आटे से पकवान बनाते हैं जिसे की “ठेकुआ” कहा जाता है| यह पूजा का सबसे आवश्यक प्रसाद होता है इसके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है| खरना की शाम को महिलाएं गन्ने के रस में चावल द्वारा खीर बनाती हैं व रोटी पर घी लगाकर खीर व रोटी के साथ शाम को पूजा की जाती है|

 

पूजा का दूसरा दिन “खरना
पूजा का दूसरा दिन “खरना

 

  1. Third Day of Chath Pooja / पूजा का तीसरा दिन “संध्या अरग” – संध्या अरग छठ पूजा का सबसे मुख्य दिन होता है इस दिन सभी लोग नए वस्त्र धारण कर तैयार होते हैं| शाम को सभी फल,फूल, पकवान, प्रसाद को सूप ( लकड़ी से बनी छोटी टोकरी) में रखा जाता है फिर उसे बांस की टोकरी में या कपड़े में बांधकर परिवार के मुख्य सदस्य द्वारा सिर पर उठाकर उसे घाट तक परिवार के सभी सदस्यों के साथ जाते हैं| घाट पर जाने के बाद व्रती महिलाएं या पुरुष नदी में खड़े होकर सूर्य के अस्त होने के कुछ समय पहले तक उनकी आराधना करते हैं फिर परिवार के सभी लोग दूध या गंगाजल से उन्हें अरग देकर संध्या अरग पूजा का समापन करते हैं|

 

पूजा का तीसरा दिन “संध्या अरग”
पूजा का तीसरा दिन “संध्या अरग”

 

  1. Fourth The Last Day of Chath Pooja / पूजा का चौथा एवं अंतिम दिन “निस्तार” – निस्तार के दिन सूर्योदय से पहले घाट पर जाते हैं उसके पश्चात नदी में खड़े होकर सूर्य उदय होने तक उनकी आराधना की जाती है व मां छठ से प्रार्थना की जाती है| जब सूर्य की पहली किरण उनकी लालिमा दिखाई देने लगती है तब उन्हें अरग दिया जाता है व्रती महिलाओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है उनसे प्रसाद प्राप्त करते हैं| इस प्रकार छठ पूजा का समापन होता है|

 

पूजा का चौथा एवं अंतिम दिन “निस्तार”
पूजा का चौथा एवं अंतिम दिन “निस्तार”

 

Amazing Facts of Chhath puja

 

  • छठ पूजा में जो महिलाएं व्रत करती हैं वह सिले हुए वस्त्रों को धारण नहीं करती हैं इसलिए मुख्य रूप से इसमें साड़ी का उपयोग किया जाता है|
  • मन्नत पूरी होने पर कोसी भरने का एक अलग रिवाज छठ पूजा में मनाते हैं|
  • वर्ष में छठ दो बार मनाई जाती है एक  कार्तिक मास में दूसरी  चैत मास में|
  • सूर्य उपासना पूजा में पवित्र स्नान का बहुत महत्व है इसलिए छठ पूजा को नदी के किनारे मनाया जाता है|
  • मन्नत पूरी होने पर दंडवत होकर घाट तक व्रती लोग पैदल जाते है|
  • भगवन सूर्य जिन्हे “दीनानाथ” भी कहा जाता है की सवारी सात घोड़े है|
  • छठ पूजा कठोर अनुशासन से पालन किये जाने वाला पर्व है|

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